शेखर जोशी की दो रचनाएं, भाषा-शैली व साहित्य में स्थान, शेखर जोशी का जीवन परिचय।
शेखर जोशी जीवन परिचय,शेखर जोशी की दो रचनाएं भाषा शैली व साहित्य में स्थान
शेखर जोशी (10 सितंबर 1932 - 4 अक्टूबर 2022) एक भारतीय हिंदी लेखक थे, जिन्हें उत्तराखंड के लोगों की संस्कृति, परंपराओं और जीवन शैली की अंतर्दृष्टि के लिए भी जाना जाता था। शैलेश मटियानी के साथ उन्होंने कुमाऊँ के लोकाचार की एक समग्र छवि बनाई। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियाँ दज्यू (बिग ब्रदर) और कोसी का घाटवार (द मिलर ऑफ कोसी) हैं। सुमित्रानंदन पंत के साथ-साथ उन्हें कुमाऊं का सबसे प्रभावशाली लेखक माना जाता है।
•जीवनी
शेखर जोशी का जन्म 10 सितंबर 1932 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलियागांव गांव में हुआ था। उनका परिवार किसान था और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून और अजमेर में प्राप्त की। इंटरमीडिएट स्कूल में पढ़ाई के दौरान, उन्हें आईएमए के रक्षा संस्थान में प्रवेश के लिए चुना गया था। [स्पष्टीकरण की आवश्यकता] उन्होंने 1955 से 1986 तक वहां काम किया, जब उन्होंने पूर्णकालिक लेखन करने के लिए इस्तीफा दे दिया।
जोशी की प्रशंसित कहानी, दाज्यू को चिल्ड्रन्स फिल्म सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा बच्चों की फिल्म में बनाया गया है। कोसी का घाटवार और कई अन्य कहानियों का अंग्रेजी, रूसी, चेक, पोलिश और जापानी में अनुवाद किया गया है। [1]
•ग्रन्थसूची
10 प्रतिनिधि कहानियां (हिंदी), आईएसबीएन 978-81-267-0314-2।
नौरंगी बीमार है राजकमल प्रकाशन।
द मिलर ऑफ़ कोसी मॉडर्न हिंदी शॉर्ट स्टोरीज़; जय रतन द्वारा अनुवादित। नई दिल्ली, सृष्टि, 2003, अध्याय 5। आईएसबीएन 81-88575-18-6।
बच्चे का सपना 2004 (हिंदी)। आईएसबीएन 81-86209-44-1।
डांगरी घाटी 1998।
मेरा पहाड़
"बिग ब्रदर" (दाज्यू), एंडरसन 1994।
दो रचनाएं - कोसी का घटवार, साथ के लोग।
भाषा-शैली - शेखर जोशी की कहानियाँ नई कहानी आंदोलन के प्रगतिशील पक्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं। समाज का मेहनतकश और सुविधाहीनता उनकी कहानियों में जगह पाता है। निहायत सहज एवं आडंबरहीन भाषा-शैली में वे सामाजिक यथार्थ के बारीक नुक्तों को पकड़ते और प्रस्तुत करते हैं। उनके रचना-संसार से गुजरते हुए समकालीन जनजीवन की बहुविध विडंबनाओं को महसूस किया जा सकता है। ऐसा करने में उनकी प्रगतिशील जीवन-दृष्टि और यथार्थ बोध का बड़ा योगदान रहा है।
साहित्य में स्थान- आंदोलन के बीच उभरी हुई प्रतिभाओं में शेखर जोशी का स्थान अन्यतम है। हिंदी जगत में योगदान के लिए आपको "पहल" सम्मान भी मिला है।
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